बेंगलुरु नामा मेट्रो फेज 3: 9,700 करोड़ से बनेगा सबसे लंबा डबल-डेकर फ्लाईओवर, पूरी जानकारी

By akhilesh Roy

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Namma Metro Phase 3

बेंगलुरु नामा मेट्रो फेज 3: सबसे लंबा डबल-डेकर फ्लाईओवर, 9,700 करोड़ की योजना से शहर बदलेगा

कर्नाटक सरकार ने Namma Metro Phase 3 को हरी झंडी दे दी है, जिसमें डबल-डेकर वायाडक्ट का निर्माण शहर की यातायात व्यवस्था को नया रूप देगा। इस project के तहत दो प्रमुख कॉरिडोर पर काम होगा, जहां मेट्रो ट्रैक फ्लाईओवर के ऊपर चलेंगे। कुल लागत 9,700 करोड़ रुपये है, जो सिविल कार्यों, भूमि अधिग्रहण और डिजाइन को कवर करेगी। बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन इसकी जिम्मेदारी संभाल रहा है, जो शहर को अधिक सुगम और जुड़ा हुआ बनाएगा।

यह initiative बेंगलुरु के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इससे रोजाना लाखों यात्रियों को फायदा मिलेगा। केंद्र सरकार मेट्रो लाइनों का पूरा खर्च उठाएगी, जबकि फ्लाईओवर के लिए राज्य और स्थानीय निकाय योगदान देंगे। 2025-26 के बजट में 4,000 करोड़ रुपये रखे गए हैं, जो परियोजना को तेज गति प्रदान करेंगे। कुल मिलाकर, यह योजना शहर की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगी और नए रोजगार के द्वार खोलेगी।

कॉरिडोर का विस्तार और डिजाइन

पहला कॉरिडोर जेपी नगर चौथे चरण से केंपापुरा तक फैलेगा, जहां 28.486 किलोमीटर लंबा फ्लाईओवर बनेगा, जो बेंगलुरु का अब तक का सबसे लंबा होगा। यह corridor आउटर रिंग रोड के पश्चिमी हिस्से से गुजरेगा, जो व्यस्त सड़कों पर दबाव कम करेगा। दूसरा कॉरिडोर होसाहल्ली से कडबागेरे तक 8.635 किलोमीटर का होगा, जो मगड़ी रोड पर विकसित किया जाएगा। दोनों मिलकर 37.121 किलोमीटर का डबल-डेकर स्ट्रक्चर तैयार करेंगे, जो शहर में पहली बार देखने को मिलेगा।

यह design मेट्रो और सड़क यातायात को एक साथ संभालने में सक्षम होगा, जिससे भूमि की बचत होगी। मूल योजना में 44.65 किलोमीटर का प्रस्ताव था, लेकिन इसे छोटा करके लागत को नियंत्रित किया गया। इंजीनियरों का कहना है कि यह structure मजबूत और मौसम प्रतिरोधी होगा, जो लंबे समय तक टिकेगा। इससे शहर की बुनियादी सुविधाएं मजबूत होंगी और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।

फंडिंग मॉडल और बजट

परियोजना की funding व्यवस्था में केंद्र सरकार मेट्रो हिस्से का बोझ उठाएगी, जबकि फ्लाईओवर के 50 प्रतिशत खर्च राज्य वहन करेगा। शहरी निकाय 10 प्रतिशत देंगे और 40 प्रतिशत लोन से आएगा, जो वित्तीय संतुलन बनाए रखेगा। कुल खर्च में निर्माण, भूमि और अन्य व्यय शामिल हैं, जो पारदर्शी तरीके से प्रबंधित किए जा रहे हैं। यह मॉडल अन्य शहरों के लिए उदाहरण बनेगा, जहां इसी तरह की योजनाएं चल रही हैं।

Namma Metro Phase 3
Namma Metro Phase 3

वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि budget planning से परियोजना समय पर पूरी होगी और अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। लागत में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यह मूल 15,611 करोड़ के अनुमान से बेहतर है। financial support से राज्य सरकार की प्रतिबद्धता झलकती है, जो विकास को प्राथमिकता दे रही है। कुल मिलाकर, यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि संसाधनों का सही उपयोग हो और लाभ सब तक पहुंचे।

निर्माण की समयसीमा और चुनौतियां

सिविल कार्य जनवरी 2025 से शुरू होने वाले हैं, जबकि टेंडर सितंबर में जारी किए जाएंगे। ठेकेदारों को 45-60 दिन का समय मिलेगा और नवंबर तक चयन हो सकता है, जो प्रक्रिया को तेज बनाएगा। परियोजना मई 2031 तक पूरी होगी, जो मूल समय से छह महीने देर है, लेकिन गुणवत्ता पर जोर दिया जा रहा है। timeline management से देरी को कम करने की कोशिश की जा रही है।

केंद्र सरकार ने अगस्त 2024 में मंजूरी दी थी, जो अंतिम कदम था। construction challenges जैसे भूमि अधिग्रहण और यातायात व्यवधान को ध्यान में रखा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि डबल-डेकर प्लान की वजह से कुछ जटिलताएं आईं, लेकिन अब समाधान निकाले जा रहे हैं। इससे बेंगलुरु की मेट्रो प्रणाली अंतरराष्ट्रीय स्तर की बनेगी और यात्रियों को बेहतर अनुभव मिलेगा।

शहर के विकास पर प्रभाव

यह metro expansion बेंगलुरु की यातायात समस्या को काफी हद तक सुलझाएगा, जहां ट्रैफिक जाम रोज की बात है। डबल-डेकर फ्लाईओवर से सड़क और रेल दोनों पर राहत मिलेगी, जो प्रदूषण घटाएगा और पर्यावरण को फायदा पहुंचाएगा। स्थानीय कारोबार बढ़ेंगे, क्योंकि नए इलाके जुड़ेंगे और निवेश आएगा। urban growth में यह एक बड़ा योगदान देगा, जो शहर को आधुनिक बनाएगा।

पर्यावरण विशेषज्ञों का अनुमान है कि sustainable features से कार्बन फुटप्रिंट कम होगा। रोजगार के हजारों अवसर पैदा होंगे, जो युवाओं के लिए फायदेमंद है। impact evaluation दिखाता है कि जीवन स्तर ऊंचा होगा और शहर अधिक आकर्षक बनेगा। कुल मिलाकर, यह परियोजना बेंगलुरु को वैश्विक शहरों की कतार में खड़ा करेगी।

निष्कर्ष

Namma Metro Phase 3 का डबल-डेकर फ्लाईओवर बेंगलुरु के लिए विकास की नई उम्मीद है, जो यातायात और कनेक्टिविटी की समस्याओं को दूर करेगा। 9,700 करोड़ की योजना से स्पष्ट है कि सरकार शहर की जरूरतों को समझ रही है, लेकिन समयसीमा और लागत पर नजर रखना जरूरी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि बड़े प्रोजेक्ट्स कितने प्रभावी साबित होते हैं।

क्या ऐसी infrastructure schemes आम लोगों की जिंदगी बदल पाएंगी? पाठकों को विचार करना चाहिए कि sustainable progress के जरिए हम कैसे शहरों को बेहतर बना सकते हैं, ताकि भविष्य की चुनौतियां आसानी से पार की जा सकें।

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akhilesh Roy

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