वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे में पश्चिम बंगाल में देरी: संरेखण संशोधन से लगभग ₹35,000 करोड़ की प्रोजेक्ट का काम रुका, जानिए वर्तमान स्थिति

By akhilesh Roy

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Varanasi Kolkata Expressway

वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे का अवलोकन

वाराणसी से कोलकाता तक का ये Varanasi-Kolkata Expressway हमारे उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़ा सपना है, जो चार राज्यों – यूपी, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़कर विकास की नई राह खोलेगा, लेकिन पश्चिम बंगाल में संरेखण संशोधन की वजह से काम रुक गया है, जो हमें थोड़ा निराश करता है क्योंकि ये 35,000 करोड़ की परियोजना है। ये मार्ग यात्रा के समय को काफी कम कर देगा, मतलब अब हमारे यहां से कोलकाता जाना घंटों की बजाय आसान हो जाएगा, और भारतमाला योजना के तहत शुरू हुआ ये प्रोजेक्ट आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देगा, जैसे व्यापार बढ़ेगा और लोकल दुकानदारों की कमाई चमकेगी। सरकारी स्तर पर इसे प्राथमिकता दी गई है, लेकिन देरी से वर्तमान स्थिति ये है कि कुछ हिस्सों में काम चल रहा है जबकि बंगाल में रिवीजन हो रहा है, ताकि पर्यावरण और स्थानीय जरूरतों का ध्यान रखा जा सके। कुल मिलाकर, ये एक्सप्रेसवे पूर्वी भारत की Connectivity Boost करेगा और लाखों लोगों को फायदा पहुंचाएगा, बस हमें उम्मीद है कि जल्दी सब ठीक हो जाए, जैसे हमारे यहां की सड़कें सुधरने से जिंदगी आसान होती है।

इस परियोजना की कुल लंबाई 610 किलोमीटर है, जिसमें कई ब्रिज और टनल शामिल हैं जो पहाड़ी इलाकों की दिक्कतों को पार करेंगे, लेकिन Alignment Revision की वजह से पश्चिम बंगाल में काम रुका हुआ है और अब नई प्लानिंग पर फोकस है ताकि कोई विवाद न हो। एक्सपर्ट टीमों ने शुरुआती प्लानिंग में पर्यावरण और सेफ्टी पर पूरा ध्यान दिया है, मतलब हमारे गंगा जी जैसे इलाकों को नुकसान न पहुंचे, और ये मार्ग न सिर्फ बड़े शहरों को जोड़ेगा बल्कि ग्रामीण इलाकों को भी मुख्यधारा से जोड़कर विकास लाएगा, जैसे हमारे वाराणसी से गांवों तक पहुंच आसान हो जाएगी। वर्तमान स्थिति ये है कि यूपी और बिहार में काम तेजी से चल रहा है, लेकिन कुल मिलाकर देरी से प्रोजेक्ट की टाइमलाइन प्रभावित हुई है, फिर भी सरकार इसे जल्दी पूरा करने की कोशिश में लगी है। कुल मिलाकर, ये Infrastructure Project देश की तरक्की के लिए बहुत जरूरी है, और हमें लगता है कि ये पूरा होने पर हमारी जिंदगी में नई रफ्तार आएगी, जैसे पुराने जाम वाले रास्ते अब स्पीड-अप हो जाते हैं।

पश्चिम बंगाल में प्रगति में देरी के कारण

पश्चिम बंगाल में इस Varanasi-Kolkata Expressway की प्रगति धीमी पड़ गई है, और मुख्य वजह Alignment Revision है, जहां राज्य सरकार ने मार्ग के डिजाइन में बदलाव की मांग की है, जैसे हमारे उत्तर प्रदेश में कभी-कभी लोकल मुद्दों से प्लान चेंज होते हैं, जिससे निर्माण का काम पूरी तरह रुक गया है। इससे प्रोजेक्ट की टाइमलाइन बुरी तरह प्रभावित हुई है, और ठेकेदार भाई लोग इंतजार में बैठे हैं, मतलब अब महीनों का नुकसान हो रहा है जो हमें चिंता में डाल देता है। स्थानीय स्तर पर कुछ विरोध भी सामने आया है, जैसे जमीन या पर्यावरण की चिंता से लोग बोल रहे हैं, और ये सब मिलकर देरी को और बढ़ा रहा है, जैसे हमारे यहां की सड़कें बनते समय कभी-कभी गांव वाले अपनी बात रखते हैं। कुल मिलाकर, ये कारण हमें लगते हैं कि अगर जल्दी सुलझे तो अच्छा, क्योंकि ये बड़ा प्रोजेक्ट हमारे जैसे आम लोगों की जिंदगी को आसान बनाने वाला है, और हम सब मिलकर उम्मीद करते हैं कि बात बन जाए।

Varanasi Kolkata Expressway
Varanasi Kolkata Expressway

इस देरी से Budget Impact भी हो रहा है, क्योंकि सामग्री और मजदूरों की लागत रोज बढ़ रही है, मतलब 35,000 करोड़ का ये प्रोजेक्ट और महंगा पड़ सकता है, जैसे हमारे यहां महंगाई से घर चलाना मुश्किल होता है। अधिकारियों ने समस्या सुलझाने के लिए कई मीटिंग्स की हैं, लेकिन अभी कोई ठोस समाधान नहीं निकला है, और पश्चिम बंगाल के भौगोलिक मुद्दे जैसे नदी या जंगल वाले इलाके, साथ में प्रशासनिक दिक्कतें इसकी वजह बनी हुई हैं, जैसे हमारे प्रदेश में कभी बाढ़ से काम रुक जाता है। ये सब मिलकर परियोजना की गति को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं, जो चिंता की बात है क्योंकि इससे हमारे वाराणसी जैसे शहरों का विकास भी प्रभावित हो रहा है। कुल मिलाकर, हमें लगता है कि केंद्र और राज्य मिलकर जल्दी कोई रास्ता निकालें, ताकि ये एक्सप्रेसवे पूरा हो और हम सबको इसका फायदा मिले, जैसे भाईचारे से बड़े काम आसान हो जाते हैं।

संरेखण संशोधन की चुनौतियां

संरेखण संशोधन का मतलब है मार्ग के रास्ते में बदलाव, जो environmental concerns और स्थानीय हितों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल में कुछ इलाकों में land acquisition मुश्किल हो रही है, जिससे संशोधन जरूरी हो गया। यह प्रक्रिया feasibility studies पर आधारित है, लेकिन इसमें समय लग रहा है। इससे निर्माण टीमों को नई योजनाएं बनानी पड़ रही हैं।

चुनौतियों में regulatory approvals प्राप्त करना शामिल है, जो विभिन्न विभागों से जुड़ी हैं। Engineer टीमों ने नए designs तैयार किए हैं, लेकिन लागू करने में देरी हो रही है। इससे परियोजना की कुल लागत बढ़ सकती है। कुल मिलाकर, ये चुनौतियां दिखाती हैं कि बड़े projects में लचीलापन कितना महत्वपूर्ण है।

अन्य राज्यों में परियोजना की स्थिति

हमारे उत्तर प्रदेश और बिहार में ये Varanasi-Kolkata Expressway का काम अच्छी रफ्तार से चल रहा है, जहां ज्यादातर हिस्से पूरे हो चुके हैं और निर्माण टीमों ने कई Milestones Achieved कर लिए हैं, जैसे सड़क बिछाने और ब्रिज बनाने में, मतलब अब वाराणसी से निकलकर बिहार तक का सफर जल्दी ही सुगम हो जाएगा। झारखंड में भी काम तेजी से आगे बढ़ रहा है, जो पूरे प्रोजेक्ट की Project Progress को सकारात्मक बना रहा है, और यहां के लोकल लोग पूरा समर्थन दे रहे हैं क्योंकि उन्हें रोजगार और बेहतर कनेक्टिविटी का फायदा दिख रहा है, जैसे हमारे यहां की सड़कें सुधरने से गांव-शहर जुड़ते हैं। इन राज्यों में स्थानीय सपोर्ट इतना मजबूत है कि ये सफलता की असली कुंजी बन गया है, मतलब सब मिलकर काम कर रहे हैं ताकि देरी न हो और प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो। कुल मिलाकर, ये प्रगति हमें लगती है कि हमारे प्रदेश की मेहनत रंग ला रही है, और हम सब मिलकर इसका फायदा उठाएंगे, जैसे परिवार में सबका साथ हो तो घर चलता है।

Varanasi Kolkata Expressway
Varanasi Kolkata Expressway

अन्य राज्यों में मॉनिटरिंग सिस्टम बहुत प्रभावी हैं, जिससे देरी कम हो रही है और काम सुचारू रूप से चल रहा है, जैसे हमारे उत्तर प्रदेश में अधिकारी लोग नियमित चेक करते हैं ताकि कोई गड़बड़ी न हो। सरकार की Government Coordination से संसाधन जैसे मशीनें और मजदूर सही समय पर उपलब्ध हो रहे हैं, मतलब बजट और प्लानिंग सब ऑन ट्रैक है, और इससे पश्चिम बंगाल में हो रही देरी से सीख लेकर सुधार किया जा सकता है, जैसे एक राज्य की अच्छाई दूसरे को मदद देती है। ये सब मिलकर प्रोजेक्ट की समग्र ताकत दिखाता है, जहां टीमवर्क से बड़े काम आसान हो जाते हैं, और हमें लगता है कि जल्दी ही पूरा एक्सप्रेसवे तैयार होगा। कुल मिलाकर, अन्य राज्यों की स्थिति हमें भरोसा देती है कि ये परियोजना हमारी जिंदगी को और बेहतर बनाएगी, और हम आम लोग इसका इंतजार कर रहे हैं क्योंकि ये विकास की नई लहर लाएगी।

भविष्य के प्रभाव और समाधान

ये Varanasi-Kolkata Expressway पूरा होने पर Economic Growth को जबरदस्त बूस्ट देगा, जैसे हमारे उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवे बनने से व्यापार और पर्यटन दोनों चमक उठते हैं, क्योंकि वाराणसी से कोलकाता तक का सफर आसान होने से तीर्थयात्री और व्यापारी दोनों को फायदा होगा, मतलब हमारे गंगा घाट से लेकर बंगाल के बाजार तक सब जुड़ जाएंगे। लेकिन पश्चिम बंगाल में देरी की वजह से ट्रैवल टाइम में कमी का लाभ देर से मिलेगा, जो हम आम लोगों को प्रभावित कर रहा है, जैसे घर बनाते समय एक कमरा अधूरा रह जाए तो पूरा घर अधूरा लगता है। समाधान के रूप में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर Dialogue And Coordination जरूरी है, ताकि alignment revision जल्दी हो और प्रोजेक्ट की रफ्तार वापस पकड़े, जैसे भाइयों में बात-चीत से सब समस्याएं सुलझ जाती हैं। कुल मिलाकर, अगर सब मिलकर काम करें तो ये एक्सप्रेसवे जल्दी पूरा होगा और हमें इसका फायदा मिलेगा, जो हमारी जिंदगी को और आसान बना देगा।

भविष्य में ऐसी बड़ी परियोजनाओं के लिए Advanced Planning अपनानी चाहिए, ताकि बाद में संशोधन की जरूरत कम पड़े और काम रुके नहीं, जैसे हमारे यहां खेती करने से पहले मिट्टी देखते हैं ताकि बाद में दिक्कत न आए, और 35,000 करोड़ के इन्वेस्टमेंट को सुरक्षित रखने के लिए रिस्क मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। सरकार को चाहिए कि पहले से ही सभी राज्यों से बात करके प्लान फाइनल करे, ताकि बीच में कोई विवाद न हो और टाइमलाइन पर काम चले, जैसे हमारे परिवार में सबकी राय लेकर फैसला करते हैं। कुल मिलाकर, सही समाधान और बेहतर कोऑर्डिनेशन से ये एक्सप्रेसवे पूर्वी भारत के विकास का प्रतीक बनेगा, और हम सब मिलकर इसका फायदा उठाकर गर्व महसूस करेंगे, क्योंकि ये न सिर्फ सड़क है बल्कि हमारी तरक्की का रास्ता है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।

निष्कर्ष

वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे में पश्चिम बंगाल की देरी alignment revision से जुड़ी है, जो समग्र progress को प्रभावित कर रही है। फिर भी, अन्य राज्यों की सफलता से उम्मीद बंधती है कि यह project जल्द पूरा होगा और कनेक्टिविटी को मजबूत बनाएगा। क्या हम ऐसी चुनौतियों से सीखकर बेहतर योजनाएं बना सकते हैं? यह सोचने का समय है।

Sustainable development की दिशा में यह पहल हमें प्रेरित करती है, जहां सही coordination से बड़ी बाधाएं पार की जा सकती हैं। आइए, हम सब मिलकर ऐसे initiatives का समर्थन करें, ताकि भारत की बुनियादी ढांचा नई ऊंचाइयों को छुए।

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akhilesh Roy

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